TOP SIDH KUNJIKA SECRETS

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देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

हुं हुं हुङ्काररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।

श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य click here मिलता है।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः

ॐ अस्य श्रीकुंजिकास्तोत्रमंत्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः,

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